||Shri Lalita Sahasranamam||

॥ ॥श्रीललितासहस्रनाम स्तोत्रम्॥॥

|| Om tat sat ||

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॥ओम् तत् सत्॥
॥श्रीललितासहस्रनाम स्तोत्रम्॥

ध्यानं

अरुणां करुणा तरङ्गिताक्षीं
धृतपाशाङ्कुश पुष्पबाणचापाम्।
अणिमादिभि रावृतां मयूखैः
अहमित्येव विभावये भवानीम्॥1||

ध्यायेत् पद्मासनस्थां विकसितवदनां पद्म पत्रायताक्षीं
हेमाभां पीतवस्त्रां करकलित लसमद्देमपद्मां वराङ्गीम्।
सर्वालङ्कारयुक्तां सकलमभयदां भक्तनम्रां भवानीं
श्रीविद्यां शान्तमूर्तिं सकल सुरसुतां सर्वसम्पत् प्रदात्रीम्॥2||

सकुङ्कुम विलेपना मळिकचुम्बि कस्तूरिकां
समन्द हसितेक्षणां सशरचाप पाशाङ्कुशाम्।
अशेष जनमोहिनीं अरुण माल्यभूषोज्ज्वलां
जपाकुसुम भासुरां जपविधौ स्मरे दम्बिकाम्॥3||

सिन्धूरारुण विग्रहां त्रिणयनां माणिक्य मौळिस्फुरत्
तारानायक शेखरां स्मितमुखी मापीन वक्षोरुहाम्।
पाणिभ्यामलिपूर्ण रत्न चषकं रक्तोत्पलं भिभ्रतीं
सौम्यां रत्नघतस्थ रक्त चरणां ध्यायेत् परामम्बिकाम्॥4||

गुरुर्ब्रह्म गुरुर्विष्णो गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुस्साक्षात् परब्रह्मः तस्मैश्री गुरवे नमः॥5||

हरिः ओं

श्रीमाता श्री महाराङ्ञी श्रीमत् सिंहासनेश्वरी।
चिदग्नि कुण्डसम्भूता देवकार्य समुद्यता॥1||

उद्यद्भानु सहस्राभा चतुर्बाहु समन्विता।
रागस्वरूप पाशाड्याक्रोधाकाराङ्कुशोज्ज्वला॥2||

मनोरूपेक्षुकोदण्डा पञ्चतन्मात्र सायका।
निजारुण प्रभापूर मज्जद् ब्रह्मण्डमण्दला॥3||

चम्पका शोकपुन्नाग सौगन्धिक लसत्कचा।
कुरुविन्दमणिश्रेणी कनत्कोटीर मण्डिता॥4||

अष्टमी चन्द्र विभ्राज दळिकस्थल शोभिता |
मुखचन्द्र कळङ्काभ मृगनाभि विशेषका || 5 ||

वदनस्मर माङ्गल्य गृहतोरण चिल्लिका।
वक्त्रलक्ष्मी परीवाह चलन्मीनाभि लोचना॥6||

नवचम्पक पुष्पाभ नासादण्द विराजिता।
ताराकान्ति तिरस्कारि नासाभरण भासुरा॥7||

कदम्ब मञ्जरीक्लुप्त कर्णपूर मनोहरा।
ताटङ्क युगळीभूत तपनोडुप मण्डला॥8||

पद्मराग शिलादर्श परिभावि कपोलभूः।
नवविद्रुम बिम्बश्रीः न्यक्करि रदनच्चदा॥9||

शुद्धविद्याङ्कुराकार द्विजपङ्क्तिद्वयोज्ज्वला।
कर्पूरवीटि कामोद समाकर्षद्दिगन्तरा॥10||

निजसल्लाप माधुर्य विनिर्बत्सित कच्चपी।
मन्दस्मित प्रभापूर मज्जत् कामेश मानसा॥11||

अनाकलित सादृश्य चुबुकश्री विराजिता।
कामेश बद्द माङल्य सूत्रशोभितकन्थरा॥12||

कनकाङ्गद केयूर कमनीय भुजान्विता।
रत्नग्रैवेय चिन्ताक लोलमुक्ता फलान्विता॥13||

कामेश्वर प्रेमरत्न मणि प्रतिपणस्तनी।
नभ्यालावाल रोमाळि लताफलकुचद्वया॥14||

लक्ष्यरोमलताधार तासमुन्नेयमध्यमा।
स्तनभार दळन् मध्य पत्तबन्ध वळित्रया॥ 15||

अर्णारुण कौस्तुम्भ वस्त्र भास्वत् कटीतटी।
रत्नकिङ्किण कारम्य रशनादाम भूषिता॥16||

कामेश ज्ञात सौभाग्य मार्दवोरु द्वयान्विता।
माणिक्यमकुटा कारा जानुद्वय विराजिता॥17||

इन्द्रगोप परिक्षिप्त स्मर तूणाभ जङ्घिका।
गूढगुल्भा कूर्मपृष्ठ जयिष्णु प्रपदान्विता॥ 18||

नखदीधिति सञ्छन्न नमज्जन तमोगुणा।
पदद्वय प्रभाजाल पराकृत सरोरुहा॥19||

शिञ्जान मणीमञ्जीर मण्डित श्रीपदाम्बुजा।
मराळी मन्दगमना महालावण्यशेवधिः॥20||

सर्वारुणाऽनवद्याङ्गी सर्वाभरण भूषिता।
शिवकामेश्वराङ्कस्था शिवा स्वाधीन वल्लभा॥21||

सुमेरुमध्यशृङ्गस्था श्रीमन्नगरनायिका।
चिन्तामणि गृहान्तस्था पञ्चब्रह्मासनस्थिता॥22||

महापद्माटवी संस्था कदम्बवनवासिनी
सुधासागर मध्यस्था कामाक्षी कामदायिनी॥23||

देवर्षि गणसङ्घात स्तूयमानात्म वैभवा।
भण्डासुर वधोद्युक्त शक्तिसेना समन्विता॥24||

सम्पत्करी समारूढ सिन्धुर व्रजसेविता।
अश्वारूढाधिष्ठिताश्व कोटिकोटि भिरावृता॥ 25||

चक्रराज रथारूढ सर्वायुध परिष्कृता।
गेयचक्र रथारूढ मन्त्रिणी परिसेविता ॥26||

किरिचक्र रथारूढ दण्डनाथा पुरस्कृता।
ज्वालामालिनि काक्षिप्त वह्निप्राकार मध्यगा॥27||

भण्डसैन्य वधोद्युक्त शक्ति विक्रमहर्षिता।
नित्यापराक्रमाटोप निरीक्षण समुत्सुका॥28||

भण्ड पुत्र वधोद्युक्त बालाविक्रम नन्दिता।
मन्त्रिण्यम्बा विरचित विषङ्ग वधतोषिता॥29||

विशुक्र प्राणहरण वाराही वीर्यनन्दिता।
कामेश्वर मुखालोक कल्पित श्री गणेश्वरा॥30||

महागणेश निर्भिन्न विघ्नयन्त्र प्रहर्षिता।
भण्डासुरेन्द्र निर्मुक्त शस्त्र प्रत्यस्त्र वर्षिणी॥31||

कराङ्गुळि नखोत्पन्न नारायण दशाकृतिः।
महापशुपतास्त्राग्नि निर्दग्धासुर सैनिका॥32||

कामेश्वरास्त्र निर्दग्ध सभण्डासुर शून्यका।
ब्रह्मोपेन्द्र महेन्द्रादि देवसंस्तुत वैभवा॥33||

हरनेत्राग्नि सन्दग्ध काम सञ्जीवनौषधिः।
श्रीमद्वाग्भव कूटकै स्वरूपमुखपङ्कजा॥34||

कण्थाधः कटिपर्यन्त मध्यकूट स्वरूपिणी।
शक्तिकूटैक तापन्न कट्यथोभाग धारिणी॥36||

मूलमन्त्रात्मिका मूलकूट त्रयकळेबरा।
कुळामृतैक रसिका कुळसङ्केत पालिनी॥36||

कुळाङ्कना कुळान्तःस्था कौळिनी कुळयोगिनी।
अकुळा समयान्तः स्था समयाचार तत्परा॥37||

मूलाधारैक निलया ब्रह्मग्रन्थि विभेदिनी।
मणिपूरान्त रुदिता विष्णुग्रन्थि विभेदिनी॥38||

अज्ञा चक्रान्तराळस्था रुद्रग्रन्थि विभेदिनी।
सहस्राराम्बुजा रूढा सुधासाराभि वर्षिणी॥39||

तटिल्लता समरुचिः षट् चक्रोपरि संस्थिता।
महाशक्तिः कुण्डलिनी बिसतन्तु तनीयसी॥40||

भवानी भवनागम्या भवारण्यकुठारिका।
भद्रप्रिया भद्रमूर्तिः भक्तसौभाग्य दायिनी॥41||

भक्तिप्रिया भक्तिगम्या भक्तिवश्या भयापहा।
शाम्भवी शारदाराध्या शर्वाणी शर्मदायिनी॥42||

शाङ्करी श्रीकरी साध्वी शरच्चन्द्रनिभानना।
शातोदरी शान्तिमती निराधारा निरञ्जना॥43||

निर्लेपा निर्मला नित्या निराकारा निराकुला।
निर्गुणा निष्कळा शान्ता निष्कामा निरुपप्लवा॥44||

नित्यमुक्ता निर्विकारा निष्प्रपञ्चा निराश्रया।
नित्यशुद्धा नित्यबुद्धा निरवद्या निरन्तरा॥45||

निष्कारणा निष्कळङ्का निरुपाधिर्निरीश्वरा।
नीरागा रागमथनी निर्मदा मदनाशिनी॥46||

निश्चिन्ता निरहङ्कारा निर्मोहा मोहनाशिनी।
निर्ममा ममताहन्त्री निष्पापा पापनाशिनी॥47||

निष्क्रोधा क्रोधशमनी निर्लोभा लोभनाशिनी।
निःसंशया संशयघ्नी निर्भवा भवनाशिनी॥49||

निर्विकल्पा निराबाधा निर्भेदा बेधनाशिनी।
निर्नाशा मृत्युमथनी निष्क्रिया निष्परिग्रहा॥49||

निस्तुला नीलचिकुरा निरपाया निरत्यया।
दुर्लभा दुर्गमा दुर्गा दुःखहन्त्री सुखप्रदा॥50||

दुष्टदूरा दुराचारा शमनी दोषवर्जिता ।
सर्वज्ञा सान्द्रकरुणा समानाधिकवर्जिता॥51||

सर्वशक्तिमयी सर्वमङ्गळा सद्गतिप्रदा।
सर्वेश्वरी सर्वमयी सर्वमन्त्रस्वरूपिणी॥52||

सर्वयन्त्रात्मिका सर्वतन्त्ररूपा मनोन्मनी।
माहेश्वरी महादेवी महालक्ष्मीर्मृडप्रिया॥53||

महारूपा महापूज्या महापातकनाशिनी।
महामाया महासत्त्वा महशक्तिर्महारतिः॥54||

महाभोगा महैश्वर्या महावीर्या महाबला।
महाबुद्धिर्महासिद्धिः महायोगेश्वरेश्वरी॥55||

महातन्त्रा महामन्त्रा महायन्त्रा माहासना।
महायग क्रमाराध्या महाभैरव पूजिता॥56||

महेश्वर महाकल्प महाताण्डव साक्षिणी।
महाकामेश महिषी महात्रिपुर सुन्दरी॥57||

चतुःषष्ट्युपचाराढ्या चतुष्षष्टि कळामयी।
महा चतुष्षष्टि कोटि योगिनी गणसेविता॥58||

मनुविद्या चन्द्रविद्या चन्द्रमण्डल मध्यगा।
चारुरूपा चारुहासा चारुचन्द्रकळाधरा॥59||

चराचर जगन्नाथा चक्रराज निकेतना।
पार्वती पद्मनयना पद्मराग समप्रभा॥60||

पञ्चप्रेतासनासीना पञ्चब्रह्म स्वरूपिणी।
चिन्मयी परमानन्दा विज्ञान घनरूपिणी॥61||

ध्यानध्यातृ ध्येयरूपा धर्माधर्मविवर्जिता।
विश्वरूपा जागरिणी स्वपन्ती तैजसात्मिका॥62||

सुप्ता प्राज्ञात्मिका तुर्या सर्वावस्था विवर्जिता।
सृष्टिकर्त्री ब्रह्मरूपा गोप्त्री गोविन्दरूपिणी॥63||

संहारिणी रुद्ररूपा तिरोधानकरीश्वरी।
सदाशिवानुग्रहदा पञ्चकृत्य परायणा॥64||

भानुमण्डल मध्यस्था भैरवी भगमालिनी।
पद्मासना भगवती पद्मनाभ सहोदरी॥65||

उन्मेषनिमिषोत्पन्न विपन्न भुवनावळिः।
सहस्रशीर्षवदना सहस्राक्षी सहस्रपात्॥66||

आब्रह्म कीटजननी वर्णाश्रम विधायिनी।
निजाज्ञारूपनिगमा पुण्यापुण्य फलप्रदा॥67||

श्रुति सीमन्त सिन्दूरी कृत पादाब्जधूळिका।
सकलागम सन्दोह शुक्तिसम्पुट मौक्तिका॥68||

पुरुषार्थप्रदा पूर्णा भोगिनी भुवनेश्वरी।
अम्बिकाऽनादि निधना हरिब्रह्मेन्द्र सेविता॥69||

नारायणी नादरूपा नामरूपविवर्जिता।
ह्रीङ्कारी ह्रीमती हृद्या हेयोपादेय वर्जिता॥70||

 

राजराजार्चिता राज्ञी रम्या राजीवलोचना।
रञ्जनी रमणी रस्या रणत्किङ्किणि मेखला॥71||

रमाराकेन्दुवदना रतिरूपा रतिप्रिया
रक्षाकरी राक्षसघ्नी रामा रमणलम्पटा॥72||

काम्या कामकळारूपा कदम्ब कुसुमप्रिया।
कल्याणी जगतीकन्दा करुणारस सागरा॥73||

कळावती कळालापा कान्ता कादम्बरीप्रिया।
वरदा वामनयना वारुणीमदविह्वला॥74||

विश्वाधिका वेदवेद्या विन्ध्याचल निवासिनी।
विधात्री वेदजननी विष्णुमाया विलासिनी॥75||

क्षेत्रस्वरूपा क्षेत्रेशी क्षेत्रक्षेत्रज्ञपालिनी।
क्षयवृद्धि विनिर्मुक्ता क्षेत्रपाल समर्चिता॥76||

विजया विमला वन्द्या वन्दारु जनवत्सला।
वाग्वादिनी वामकेशी वह्निमण्डल वासिनी॥77||

भक्तिमत् कल्पलतिका पशुपाशविमोचनी।
संहृताशेष पाषण्डा सदाचार प्रवर्तिका॥78||

तापत्रयाग्नि सन्तप्त समाह्लादन चन्द्रिका।
तरुणी तापसाराध्या तनुमध्या तमोऽपहा॥79||

चित्ति सत्पदलक्ष्यार्धा चिदेक रसरूपिणी।
स्वात्मानन्दलवीभूत ब्रह्मद्यानन्द सन्ततिः॥80||

परा प्रत्यक्चितीरूपा पश्यन्ती परदेवता।
मध्यमा वैखरीरूपा भक्तिमानस हंसिका॥81||

कामेश्वर प्राणनाडी कृतज्ञा कामपूजिता।
शृङ्गार रससम्पूणा जया जालन्दरस्थिता॥82||

ओड्याणपीठनिलया बिन्दुमण्डल वासिनी।
रहोयाग क्रमाराध्या रहस्तर्पण तर्पिता॥83||

सद्यः प्रसादिनी विश्वसाक्षिणी साक्षिवर्जिता
षडङ्गदेवता युक्ता षाड्गुण्य परिपूरिता॥84||

नित्यक्लिन्ना निरुपमा निर्वाण सुखदायिनी।
नित्या षोडशिकारूपा श्रीकण्ठार्थ शरीरिणी ॥85||

प्रभावती प्रभारूपा प्रसिद्धा परमेश्वरी।
मूलप्रकृति रव्यक्ता व्यक्ताऽव्यक्त स्वरूपिणी॥86||

व्यापिनी विविधाकारा विद्याऽविद्य स्वरूपिणी।
महाकामेशनयना कुमुदाह्लाद कौमुदी॥87||

भक्तहार्द तमोभेद भानुमद् भानुसन्ततिः।
शिवदूती शिवाराध्या शिवमूर्ति श्शिवङ्करी॥88||

शिवप्रिया शिवपरा शिष्टेष्टा शिष्टपूजिता।
अप्रमेया स्वप्रकाशा मनोवाचाम गोचरा॥89||

चिच्चक्ति श्चेतनारूपा जडशक्तिर्जडात्मिका।
गायत्री व्याहृति स्सन्ध्या द्विजबृन्द निषेविता॥90||
तत्त्वासना तत्त्वमयी पञ्चकोशान्तरस्थिता।
निस्सीममहिमा नित्ययौवना मदशालिनी॥91||

मदघूर्णित रक्ताक्षी मदपाटल गण्डभूः।
चन्दनद्रवदिग्धाङ्गी चाम्पेय कुसुमप्रिया॥92||

कुशला कोमलाकार कुरुकुल्ला कुलेश्वरी।
कुळकुण्डालया कौळ मार्गतत्पर सेविता॥93||

कुमारगणनाथाम्बा तुष्टिः पुष्टिः मतिर्धृतिः।
शान्तिः स्वस्तिमती कान्तिः नन्दिनी विघ्ननाशिनी॥94||

तेजोवती त्रिनयना लोलाक्षी कामरूपिणी।
मालिनी हंसिनी माता मलयाचलवासिनी॥95||

सुमुखीनळिनी सुभ्रूः शोभना सुरनायिका।
कालकण्ठी कान्तिमती क्षोभिणी सूक्ष्मरूपिणी॥96||

वज्रेश्वरी वामदेवी वयोऽवस्था विवर्जिता।
सिद्धेश्वरी सिद्धविद्या सिद्धमाता यशस्विनी॥97||

विशुद्धि चक्रनिलयाऽऽरक्तवर्णा त्रिलोचना।
खट्वाङ्गादि प्रहरणा वदनैक समन्विता॥98||

पायसान्नप्रिया त्वक्स्था पशुलोक भयङ्करी।
अमृतादि महाशक्ति संवृता डाकिनीश्वरी॥99||

अनाहताब्ज निलया श्यामाभा वदनद्वया।
दंष्ट्रोज्ज्वलाऽक्षमालाधिधरारुधिर संस्थिता ॥100||

काळरात्र्यादि शक्त्योघवृता स्निग्दौदनप्रिया।
महावीरेन्द्र वरदा राकिण्यंबास्वरूपिणी॥101||

मणिपूराब्जनिलया वदनत्रय संयुता।
वज्राधिकयुधोपेता डामर्याभिरावृता॥102||

रक्तवर्णा मांसनिष्ठा गुडान्नप्रीतिमानसा।
समस्त भक्तसुखदा लाकिन्याम्बास्वरूपिणी॥103||

स्वाधिष्ठानाम्बुजगता चतुर्वक्त्रमनोहरा।
शूलाद्यायुध सम्पन्ना पीतवर्णाऽतिगर्विता॥104||

मेदोनिष्ठा मधुप्रीता बन्दिन्यादि समन्विता।
दध्यान्नासक्त हृदया डाकिनी रूपधारिणी॥105||

मूलादाराम्बुजारूढा पञ्चवक्त्राऽस्थिसंस्थिता।
अङ्कुशादि प्रहरणा वरदादि निषेविता॥106||

मुद्गौदनासक्त चित्ता साकिन्यम्बा स्वरूपिणी।
अज्ञा चक्राब्जनिलया शुक्लवर्णा षडानना॥107||

मज्जासंस्था हंसवती मुख्यशक्तिसमन्विता।
हरिद्रान्नैक रसिका हाकिनी रूपधारिणी॥108||

सहस्रदळ पद्मस्था सर्ववर्णोप शोभिता।
सर्वायुधधरा शुक्लसंस्थिता सर्वतो मुखी॥109||

सर्वौदन प्रीतचित्ता याकिन्याम्बा स्वरूपिणी।
स्वाहा स्वधा ऽमतिर्मेधा श्रुतिः स्मृतिरनुत्तमा॥110||

पुण्यकीर्तिः पुण्यलभ्या पुण्यश्रवण कीर्तना।
पुलोमजार्चिता बन्दमोचनी बन्दुरालका॥111||

विमर्शरूपिणी विद्या वयदादि जगत्प्रसूः।
सर्वव्याधि प्रशमनी सर्वमृत्युनिवारिणी॥112||

अग्रगण्याऽचिन्त्यरूपा कलिकल्मष नाशिनी।
कात्यायिनी कालहन्त्री कमलाक्ष निषेविता॥113||

ताम्बूल पूरित मुखी दाडिमी कुसुमप्रभा।
मृगाक्षी मोहिनी मुख्या मृडानी मित्ररूपिणी॥114||

नित्यतृप्ता भक्तनिधिः नियन्त्री निखिलेश्वरी।
मैत्र्यादि वासनालभ्या महाप्रळय साक्षिणी॥115||

पराशक्तिः परानिष्ठा प्रज्ञान घनरूपिणी।
माध्वीपानालसा मत्ता मातृका वर्णरूपिणी॥116||

महाकैलास निलया मृणाल मृदुदोर्लता।
महनीया दयामूर्तिः महासाम्राज्यशालिनी॥117||

आत्मविद्या महाविद्या श्रीविद्या कामसेविता
श्रीषोडशाक्षरी विद्या त्रिकूटा कामकोटिका॥118||

कटाक्षकिङ्करी भूत कमला कोटिसेविता।
शिरः स्थिता चन्द्रनिभा फालस्थेन्द्र धनुः प्रभा॥119||

हृदयस्था रविप्रख्या त्रिकोणान्तर दीपिका।
दाक्षायणी दैत्यहन्त्री दक्षयज्ञ विनाशिनी॥120||

दरान्दोळित दीर्घाक्षी दरहासोज्ज्वलन्मुखी।
गुरुमूर्तिर्गुणनिधिः गोमाता गुहजन्मभूः ॥121||

देवेशी दण्दनीतिस्था दहराकाश रूपिणी।
प्रतिपन्मुख्य राकान्त तिथिमण्डल पूजिता॥122||

कळात्मिका कळानाथा काव्यालाप विनोदिनी।
सचामर रमावाणी सव्यदक्षण सेविता॥123||

आदिशक्तिरमेयाऽऽत्मा परमा पावनाकृतिः।
अनेक कोटि ब्रह्माण्द जननी दिव्यविग्रहा॥124||

क्लीङ्कारी केवला गुह्या कैवल्य पददायिनी।
त्रिपुरा त्रिजगद्वन्द्या त्रिमूर्ति स्त्रिदशेश्वरी॥125||

त्र्यक्षरी दिव्यगन्धाड्या सिन्दूर तिलकाञ्चिता।
उमा शैलेन्द्रतनया गौरी गन्धर्व सेविता॥126||

विश्वगर्भा स्वर्णगर्भाऽवरदा वागधीश्वरी।
ध्यानगम्याऽपरिच्छेद्या ज्ञानदा ज्ञानविग्रहा॥127||

सर्ववेदान्त संवेद्या सत्यानन्द स्वरूपिणी।
लोपमुद्रार्चिता लीलाक्लुप्त ब्रह्माण्डमण्डला॥128||

अदृश्या दृश्यरहिता विज्ञात्री वेद्यवर्जिता।
योगिनी योगदा योग्या योगानन्दा युगन्धरा॥129||

इच्छाशक्ति ज्ञानशक्ति क्रियाशक्ति स्वरूपिणी।
सर्वधारा सुप्रतिष्ठा सदसद्रूपधारिणी॥130||

अष्टमूर्तिरजाजैत्री लोकयात्रा विधायिनी।
एकाकिनी भूमरूपा निर्द्वैता द्वैतवर्णिनी॥131||

अन्नदा वसुदा वृद्धा ब्रह्मत्मैक्य स्वरूपिणी।
बृहती ब्राह्मणी ब्राह्मी ब्रह्मानन्दा बलिप्रिया॥132||

भाषारूपा बृहत्सेना भावाभाव विवर्जिता।
सुखाराध्या शुभकरी शोभना सुलभागतिः॥133||

राजराजेश्वरी राज्य दायिनी राज्यवल्लभा।
राजत् कृपा राजपीठ निवेशितनिजाश्रिता॥134||

राज्यलक्ष्मीः कोशनाथा चतुरङ्गबलेश्वरी।
साम्राज्यदायिनी सत्यसन्धा सागरमेखला॥135||

दीक्षिता दैत्यशमनी सर्वलोक वशङ्करी।
सर्वार्धदात्री सावित्री सच्चिदानन्द रूपिणी॥136||

देशकालाऽपरिच्चिन्ना सर्वगा सर्वमोहिनी।
सरस्वती शास्त्रमयी गुहाम्बा गुह्यरूपिणी॥137||

सर्वोपाधि विनिर्मुक्ता सदाशिव पतिव्रता।
सम्प्रदायेश्वरी साध्वी गुरुमण्दल रूपिणी॥138||

कुलोत्तीर्णा भगाराध्या माया मधुमती मही।
गुणाम्बा गुह्याकाराध्या कोमलाङ्गी गुरुप्रिया॥139||

स्वतन्त्रा सर्वतन्त्रेशी दक्षिणामूर्ति रूपिणी।
सनकादि समाराध्या शिवज्ञान प्रदायिनी॥140||

चित्कळाऽनन्दकलिका प्रेमरूपा प्रियङ्करी।
नामपारायण प्रीता नन्दिविद्या नटेश्वरी॥141||

मिथ्या जगदधिष्ठाना मुक्तिदा मुक्तिरूपिणी।
लास्यप्रिया लयकरी लज्जा रम्भादि वन्दिता॥142||

भवदाव सुधावृष्टिः पापरण्यदवानला।
दौर्भाग्यतूल वातूला जरध्वान्त रविप्रभा॥143||

भाग्याब्धिचन्द्रिका भक्तचित्तकेकि घनाघना।
रोगपर्वत दम्बोळिः मृत्युदारुकुठारिका॥144||

महेश्वरी महाकाळी महाग्रासा महाऽशना।
अपर्णा चण्डिका चण्डमुण्डाऽसुर निषूदिनी॥145||

क्षरक्षरात्मिका सर्वलोकेशी विश्वधारिणी।
त्रिवर्गदात्री सुभगा त्र्यम्बका त्रिगुणात्मिका॥146||

स्वर्गापवर्गदा शुद्धा जपापुष्प निभाकृतिः।
ओजोवती द्युतिधरा यज्ञरूपा प्रियव्रता॥147||

दुरराध्या दुरादर्षा पाटलीकुसुमप्रिया।
महती मेरुनिलया मन्दारकुसुमप्रिया॥148||

वीराराध्या विराड्रूपा विरजा विश्वतो मुखी।
प्रत्यग्रूपा पराकाशा प्राणदा प्राणरूपिणी॥149||

मार्ताण्ड भैरवाराध्या मन्त्रिणी न्यस्तराज्यधूः।
त्रिपुरेशी जयत्सेना निस्त्रैगुण्या परापरा॥150||

सत्यज्ञानाऽनन्दरूपा सामरस्य परायणा।
कपर्दिनी कलामाला कामधुक् कामरूपिणी॥151||

कळानिधिः काव्यकळा रसज्ञा रसशेवधिः।
पुष्टा पुरातना पूज्या पुष्करा पुष्करेक्षणा॥152||

परञ्योतिः परन्धाम परमाणुः परात्परा।
पाशहस्ता पाशहन्त्री परमन्त्र विभेदिनी॥153||

मूर्ताऽमूर्ताऽनित्यतृप्ता मुनिमानस हंसिका॥
सत्यव्रता सत्यरूपा सर्वान्तर्यामिनी सती॥154||

ब्रह्मणी ब्रह्मजननी बहुरूपा बुधार्चिता।
प्रसवित्री प्रचण्डाऽज्ञा प्रतिष्ठा प्रकटाकृतिः॥155||

प्राणेश्वरी प्राणदात्री पञ्चाशत् पीठरूपिणी।
विश्रुङ्खला विविक्तस्था वीरमाता वियत्प्रसूः॥156||

मुकुन्दा मुक्तिनिलया मूलविग्रहरूपिणी।
भावज्ञा भवरोगघ्नी भवचक्र प्रवर्तिनी॥157||

छन्दस्सारा शास्त्रपारा मन्त्रसारा तलोदरी।
उदारकीर्तिरुद्दाम वैभवा वर्णरूपिणी॥158||

जन्ममृत्यु जरातप्त जनविश्रान्ति दायिनी।
सर्वोपनिषद् उद्घुष्टा शान्त्यतीत कळात्मिका॥159||

गम्भीरा गगनान्तःस्था गर्विता गानलोलुपा।
कल्पनारहिता काष्ठा कान्ता कान्तार्ध विग्रहा॥160||

कार्यकारण निर्मुक्ता कामकेळि तरङ्गिता।
कनत्कनक ताटङ्का लीलाविग्रहधारिणी॥161||

अजाक्षय विनिर्मुक्ता मुग्धा क्षिप्र प्रसादिनी।
अन्तर्मुख समराध्या बहिर्मुख सुदुर्लभा॥162||

त्रयी त्रिवर्गनिलया त्रिस्था त्रिपुरमालिनी।
निरामया निरालम्बा स्वात्माराम सुधासृतिः॥163||

संसारपङ्क निर्मग्न समुद्धरण पण्डिता।
यज्ञप्रिया यज्ञकर्त्री यजमान स्वरूपिणी॥164||

धर्मदारा धनाध्यक्षा धनधान्य विवर्धिनी।
विप्रप्रिया विप्ररूपा विश्वभ्रमण कारिणी॥165||

विश्वग्रासा विद्रुमाभा वैष्णवी विष्णुरूपिणी।
अयोनिर्योनिनिलया कूटस्था कुलरूपिणी॥166||

वीरगोष्ठीप्रिया वीरा नैष्कर्म्या नादरूपिणी।
विज्ञानकलना कल्या विदग्धा बैन्दवासना॥167||

तत्त्वाधिका तत्त्वमयी तत्त्वमर्थ स्वरूपिणी।
सामगानप्रिया सौम्या सदाशिवकुटुम्बिनी॥168||

सव्यापसव्य मार्गस्था सर्वापद्वि निवारिणी।
स्वस्था स्वभावमधुरा धीरा धीर समर्चिता॥169||

चैतनार्घ्य समाराध्या चैतन्य कुसुमप्रिया ।
सदोदिता सदातुष्टा तरुणादित्य पाटला॥ 170||

दक्षिणा दक्षिणाराध्या दरस्मेर मुखाम्बुजा।
कौळिनी केवलाऽनर्घ्या कैवल्य पददायिनी॥171||

स्तोत्रप्रिया स्तुतिमती श्रुतिसंस्तुत वैभवा।
मनस्विनी मानवती महेशी मङ्गळाकृतिः॥172||

विश्वमाता जगद्धात्री विशालाक्षी विरागिणी।
प्रगल्भा परमोदारा परमोदा मनोमयी॥173||

व्योमकेशी विमानस्था वज्रिणी वामकेश्वरी।
पञ्चयज्ञप्रिया पञ्चप्रेत मञ्चाधिशायिनी॥174||

पञ्चमी पञ्चभूतेशी पञ्चसङ्ख्योपचारिणी।
शाश्वती शाश्वतैश्वर्या शर्मदा शम्भुमोहिनी॥175||

धराधरसुता धन्या धर्मिणी धर्मवर्धिनी।
लोकातीता गुणातीता सर्वातीता शमात्मिका॥176||

बन्दूक कुसुम प्रख्या बाला लीलाविनोदिनी।
समङ्गळी सुखकरी सुवेषाड्या सुवासिनी॥177||

सुवासिन्यर्चनाप्रीता शोभना शुद्ध मानसा।
बिन्दु तर्पण सन्तुष्टा पूर्वजा त्रिपुराम्बिका॥178||

दशमुद्रा समाराध्या त्रिपुरा श्रीवशङ्करी।
ज्ञानमुद्रा ज्ञानगम्या ज्ञानज्ञेय स्वरूपिणी॥179||

योनिमुद्रा त्रिखण्डेशी त्रिगुणाम्बा त्रिकोणगा।
अनघाद्भुत चारित्रा वाञ्चितार्थ प्रदायिनी॥180||

अभ्यासाति शयज्ञाता षडद्वातीत रूपिणी।
अव्याज करुणामूर्तिः अज्ञानध्वान्त दीपिका ॥181||

आबालगोप विदिता सर्वानुल्लङ्घ्य शासना।
श्रीचक्रराजनिलया श्रीमत्त्रिपुर सुन्दरी॥182||

श्रीशिवा शिवशक्त्यैक्य रूपिणी ललिताम्बिका।
एवं श्रीललितादेव्या नाम्नां साहस्रकं जगुः॥183||

इति श्रीब्रह्माण्दपुराणे उत्तरखण्डे श्री हय ग्रीवागस्त्य संवादे श्रीललितासहस्रनामस्तोत्रं सम्पूर्णम्॥

 

|| Om tat sat ||