||Ganesha Pancharatnamala Slokas ||
॥ गणेशपंचरत्नमाल॥
|| Om tat sat ||
Sloka Text in Telugu , Kannada, Gujarati, Devanagari, English
॥ गणेशपंचरत्नमाल॥
मुदा करात्त मोदकं सदा विमुक्ति साधकं |
कळाधरावतंसकं विलासिलोक रक्षकम् |
अनायकैक नायकं विनाशितेभ दैत्यकं |
नताशुभाशु नाशकं नमामि तं विनायकम् || 1 ||
नतेतराति भीकरं नवोदितार्क भास्वरं |
नमत्सुरारि निर्जरं नताधिकापदुद्ढरम् |
सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं |
महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम् || 2 ||
समस्त लोक शङ्करं निरस्त दैत्य कुञ्जरं |
दरेतरोदरं वरं वरेभ वक्त्रमक्षरम् |
कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करं |
मनस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम् || 3 ||
अकिञ्चनार्ति मार्जनं चिरन्तनोक्ति भाजनं |
पुरारि पूर्व नन्दनं सुरारि गर्व चर्वणम् |
प्रपञ्च नाश भीषणं धनञ्जयादि भूषणं |
कपोल दानवारणं भजे पुराण वारणम् || 4 ||
नितान्त कान्ति दन्त कान्ति मन्त कान्ति कात्मजम् |
अचिन्त्य रूपमन्त हीन मन्तराय कृन्तनम् |
हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनां |
तमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि सन्ततम् || 5 ||
महागणेश पञ्चरत्नमादरेण योऽन्वहं |
प्रजल्पति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम् |
अरोगतामदोषतां सुसाहितीं सुपुत्रतां |
समाहितायु रष्टभूति मभ्युपैति सोऽचिरात् ||
|| इति गणेश पंचरत्नमाला समाप्तम्॥
|| Om tat sat ||